सपा मुखिया अखिलेश यादव बोले- न लैपटॉप-न स्मार्ट फोन, बच्चे कैसे करें ऑनलाइन पढ़ाई

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  • उत्तर प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था चरमराई, ऑनलाइन पढ़ाई का भी कोई रोडमैप नहीं
  • मार्च से बंद हैं स्कूल-कॉलेज, फिर भी आज तक नहीं बनाई जा सकी ठोस रणनीति

प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, लखनऊ


कोरोना महामारी के चलते प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था चरमरा गई है। मार्च से स्कूल-कॉलेज बंद हैं, फिर भी ऑनलाइन पढ़ाई के लिए न कोई रोडमैप तैयार किया गया और न ही कोई ठोस रणनीति। प्रदेश के 27 फीसद बच्चों के पास न लैपटॉप और न स्मार्ट फोन हैं, ऐसे में बेचारे ऑनलाइन पढ़ाई कैसे करें।ये बातें शनिवार को लखनऊ स्थित समाजवादी पार्टी कार्यालय में सपा के मुखिया एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहीं।

उन्होंने कहा कि सपा सरकार ने संरचनात्मक विकास के कार्य किए थे, जिसे भाजपा सरकार ने आते ही रोक दिया। वर्तमान परिदृष्य में शिक्षा जगत के सामने कई गंभीर चुनौतियां हैं। उन्होंने भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि हल निकालने के बजाय मनमाने निर्णय थोपे जा रहे हैं। उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार को भी निशाना बनाते हुए कहा कि बिना तैयारी के जैसे नोटबंदी व जीएसटी के निर्णय हुए। उसी तरह छात्रों की आॅनलाइन शिक्षा का हाल है। स्कूली छात्र-छात्राओं को को कोरोना से सबसे अधिक खतरा है। उसे देखते हुए आॅनलाइन पढ़ाई का तरीका तो निकाला गया। इसकी पढ़ाई कंप्यूटर, लैपटॉप और स्मार्टफाेन के बिना नहीं होने वाली है। सपा ने दूरदर्शी सोच के तहत ही छात्र-छात्राओं को 18 लाख लैपटाॅप बांटे थे। स्मार्टफोन देने का वादा भी किया था, लेकिन सत्ता में भाजपा ने आते ही योजना बंद कर दी।

छात्र-छात्राओं के पास न लैपटाॅप, न स्मार्टफोन और न ही वाईफाई सुविधा है। सामाजिक एवं आर्थिक स्तर में अंतर होने की वजह से सभी के लिए आॅनलाइन शिक्षा सुगम नहीं है। ट्रेनिंग की व्यवस्था न होने से शिक्षक, छात्र और उनके अभिभावक सभी परेशान हैं। यह सरकार संस्कृति व धर्म की रक्षा का झंडा लेकर चलती है, लेकिन संस्कृत विद्यालयों की उपेक्षा भी करती है। अब तो सरकार इन्हें बंद करने जा रही है।


सपा अध्यक्ष ने कसा तंज

सपा अध्यक्ष अखिलेश शिक्षा नीति में बदलाव पर सरकार पर तंज कसने से भी नहीं चूके। कहा, शिक्षा नीति में बदलाव करने वाली भाजपा पहले अपने नेताओं को नैतिक शिक्षा का पाठ पढ़ाए। उनके नेता अनधिकृत रूप से किताबें छापने के गोरखधंधे में लिप्त हैं। नकली ईमानदारी का चोंगा ओढ़े लोगों का सच जनता अच्छी तरह जान चुकी है। छल कपट की राजनीति का परिणाम भुगतने के लिए अब तैयार रहें।

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