- कुवैत सरकार ने साढ़े तीन महीने बाद अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों को शुरू करने की घोषणा
- भारत, पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका, ईरान, बांग्लादेश व फिलीपींस के लोगों को अनुमति नहीं
कोरोना महामारी की वजह से मुफलिसी के दिन काट रहे भारतीय कामगारों के लिए बुरी खबर है। कुवैत सरकार ने साढ़े तीन महीने बाद अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों को फिर से शुरू करने की घोषणा की है। हालांकि भारत समेत कई देशों को इससे बाहर रखा है। फिलहाल भारतीय नागरिक कुवैत की उड़ान नहीं भर सकेंगे। कुवैत सरकार के इस फैसले ने भारतीय कामगारों की परेशानी बढ़ा दी है।
कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए कुवैत सरकार ने विदेशी कामगारों के लिए नई गाइडलाइन भी तैयार की है। जिसे वहां की नेशनल असेंबली में रखा जाएगा। अगर नेशनल असेंबली की मंजूरी मिल जाती है तो वहां काम करने वाले भारतीय समेत अन्य देशों के कामगारों एवं उनके परिवारीजनों के लिए समस्या हो सकती है। नेशनल असेंबली की विधि एवं विधायिका समिति पहले ही देश के आधार पर कोटा तय करने वाले विधेयक को संवैधानिक करार दे चुकी है। विधेयक के मुताबिक कुवैत की कुल आबादी में भारतीयों की संख्या 15 फीसदी से अधिक नहीं होनी चाहिए।
आठ लाख भारतीयों को छोड़ना पड़ सकता कुवैत
गल्फ न्यूज के मुताबिक इस कानून को मंजूरी मिलने पर लगभग आठ लाख भारतीयों को कुवैत छोड़ना पड़ सकता है। विदेशी नागरिकों में सबसे अधिक 14.5 लाख सिर्फ भारतीय हैं। कुवैत की वर्तमान आबादी 43 लाख है, जिसमें से कुवैत के मूल नागरिक लगभग 13 लाख हैं। वहीं विदेशी नागरिकों की संख्या 30 लाख है।इन देशों के नागरिकों को अनुमति नहीं
कुवैत सरकार के मुताबिक 1 अगस्त से भारत, पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका, ईरान, बांग्लादेश और फिलीपींस से आने वालों को छोड़कर अन्य देशों के नागरिकों को अनुमित रहेगी। वहां कुवैत के नागरिक और प्रवासी आवाजाही कर सकेंगे।
इन्हें होगी परेशानी
कुवैत सरकार के फैसले की मार उन भारतीय कामगारों पर पड़ेगी, जो कोरोना के चलते कुवैत से भारत लौट आए थे। ऐसे कामगारों की नौकरी भी खतरे में पड़ सकती है। कई कामगारों का वीजा खत्म होने वाला है और कुवैत सरकार के रुख के चलते रिन्यू में मुश्किल होगी।
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