भारतीय परंपरा में समय के साथ बदलाव से ही नवीनता आ रही : प्रो. शर्मा

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  • जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोधपीठ की ओर से 'एकात्म मानव दर्शन का औपनिषदिक आधार' पर ऑनलाइन व्याख्यान

प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, बलिया


पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने भारत की सनातन थाती को अपने विचारों में प्रकट किया है। भारतीय परंपरा सनातन है। वह अपने मूल से जुड़ी हुई है। इसकी खासियत है कि वह अपना परिष्कार भी करते हुए चलती है। इन बदलाव की वजह से ही इसमें नवीतना आती रहती है, इसलिए यह नूतन भी है। पं. उपाध्याय के चिंतन का उद्देश्य प्राणी मात्र के कल्याण के लिए समर्पित था। यह जानकारी शनिवार को जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोधपीठ के तत्वावधान में 'एकात्म मानव दर्शन का औपनिषदिक आधार' पर आयोजित ऑनलाइन व्याख्यान के मुख्य वक्ता प्रो. पवन कुमार शर्मा ने दीं।

उन्होंने पंडित दीनदयाल उपाध्याय पर विशद प्रकाश डालते हुए उनके जुड़ी जानकारियां साझा कीं। कार्यक्रम की अध्यक्षताता करते हुए कुलपति प्रो. कल्पलता पांडेय ने कहा कि एकात्म मानव दर्शन औपनिषदिक चिंतन से उद्भूत है। विपरीत परिस्थितियों में हम शिक्षा के माध्यम से एक स्वायत्त मानव को निर्मित नहीं कर पा रहे हैं, यह चिंता का विषय है। इससे पहले शोधपीठ के संयोजक डॉ. रामकृष्ण उपाध्याय ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि विद्या लोक और परलोक को साधने का एक माध्यम है। एकात्म मानव दर्शन के आलोक में ही यह संभव है। कार्यक्रम में डॉ. प्रमोद शंकर पांडेय, डॉ. रामावतार उपाध्याय, डॉ. दयालानन्द राय उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अजय बिहारी पाठक ने किया।


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