- हैलट इमरजेंसी के होल्डिंग एरिया से 3.30 बजे भेजा था न्यूरो सांइस के कोविड हॉस्पिटल
- कंसल्टेंट ने भेजने से पहले की थी डॉक्टर से बात, फिर भी दो घंटे कराते रहे इंतजार, मौत
मुख्य सचिव के सामने स्वास्थ्य विभाग पर मौतों का ठीकरा फोड़ने वाले मेडिकल कॉलेज के हैलट अस्पताल के डॉक्टरों की बड़ी लापरवाही सामने आई है। अस्पताल के डॉक्टरों के बीच समन्वय की कमी से रविवार शाम एक महिला की जान चली गई। हैलट इमरजेंसी के होल्डिंग एरिया में भर्ती मरीज का इलाज कर रहे कंसल्टेंट ने वहां के डॉक्टर से बात करने के बाद न्यूरो साइंस सेंटर के कोविड हॉस्पिटल भेजा। फिर भी वहां दो घंटे तक मरीज को भर्ती नहीं किया गया। इंतजार करते-करते मरीज की सांसें थम गईं। मौत की खबर से अस्पताल प्रशासन में खलबली मच गई है।
बर्रा विश्वबैंक निवासी 55 वर्षीय महिला बाइपास स्थित नर्सिंग होम में भर्ती थीं। सुबह जब उन्हें बेचैनी व उलझन हुई तो नर्सिंग होम के डॉक्टर ने लक्ष्मीपत सिंहानिया हृदय रोग संस्थान (कार्डियोलॉजी) भेज दिया। सुबह 10 बजे वहां लेकर पहुंचे। वहां से उन्हें हैलट भेज दिया गया। हैलट इमरजेंसी में 11 बजे मेडिसिन के डॉ. एमपी सिंह की यूनिट में दिखाया। उन्हें होल्डिंग एरिया में भर्ती कर दोपहर 2 बजे एंटीजन रैपिड कार्ड से कोरोना की जांच की गई, जो पॉजिटिव आई। कंसल्टेंट डॉ. एमपी सिंह ने तीन बजे कोविड हॉस्पिटल के डॉक्टर से फोन पर बात की। उनकी सहमति के बाद दाेपहर 3.30 बजे न्यूरो साइंस सेंटर के कोविड हॉस्पिटल भेज दिया। वहां दो घंटे तक नीचे इंतजार कराते रहे। उनकी पुत्री संगीता, रंजीता एवं मंजीता का आरोप है कि हैलट इमरजेंसी से एंबुलेंस से 3.30 बजे न्यूरो साइंस सेंटर आ गए। एक घंटे तक नीचे इंतजार करते रहे। जब सांसें उखड़ने लगी तो दूसरे तल पर ले गए, लेकिन आइसीयू के गेट पर रोके रहे। अंदर नहीं लिया, कई बार हाथ-पैर जोड़े। डॉक्टर सुनने को तैयार नहीं हुए। दो घंटे तड़पने के बाद मां ने शाम 5.30 बजे दम तोड़ दिया।
मरीज गंभीर स्थिति में आई थी। जांच में पॉजिटिव आने पर उसे होल्डिंग एरिया से न्यूरो साइंस के कोविड हॉस्पिटल भेजा गया। पता चला है कि उसे वहां भर्ती नहीं किया गया। सुबह सभी कंसल्टेंट की बैठक बुलाई है। इसमें जिसकी भी लापरवाही है। उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
- प्रो. रिचा गिरि, प्रमुख अधीक्षक, हैलट अस्पताल।
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