- जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विभागाध्यक्ष का कमाल-रिजल्ट मिले बेहतर
रतौंधी से पीड़ित लोगों के लिए राहत भरी खबर है। अब इसका इलाज संभव है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विभागाध्यक्ष ने मरीज के रक्त से तैयार इंजेक्शन विशेष प्रकार की निडिल से आंख के पर्दे यानी रेटिना में लगाया। इसके बाद रेटिना की कोशिकाओं (सेल) में जान आ गई। उनकी खोई हुई रोशनी वापस आ गई। अब इस तकनीक का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पेटेंट कराने के लिए आवेदन किया है।
नेत्र रोग विभागाध्यक्ष परवेज़ खान बताते हैं, रतौंधी जन्मजात बीमारी है। इसमें रेटिना की सेल्स खुद ब खुद मरने लगती है। आंख की नस सूखने लगती है। धीरे-धीरे रोशनी कम होती जाती है। इसमें बच्चों की रोशनी 5 वर्ष, 10 वर्ष तथा 15 वर्ष की उम्र तक पूरी तरह चली जाती है। अभी तक रतौंधी का इलाज ही नहीं था।
पीआरपी के रिजल्ट से प्रेरणा
प्रो. खान बताते हैं कि स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग तथा ऑर्थोपेडिक विभाग में प्लेटलेट्स रिच प्लाज्मा (पीआरपी) से बांझपन व घुटने के दर्द का कारगार इलाज संभव है। इसकी सफलता को देखते हुए रतौंधी के इलाज की प्रेरणा मिली। इसके बाद अध्ययन शुरू किया।
स्वयं तैयार की निडिल
मरीजों के रक्त से ब्लड बैंक में पीआरपी बनाया गया। उसका इंजेक्शन तैयार किया। समस्या यह थी कि पीआरपी का इंजेक्शन रेटिना की नस से जुड़ी रोड और कौन सेल्स पर कैसे लगाया जाए। यह आँख के अंदरूनी तरफ होता है। इसके लिए बाजार में निडिल भी नहीं थी। इंजेक्शन लगाने के लिए विभागाध्यक्ष ने स्वयं विशेष डिज़ाइन का निडिल तैयार किया। फिर रेटिना के अंदरूनी हिस्से में इंजेक्शन लगाया। निडिल का नाम सुप्रा खोराइडल निडिल 500-900 माइक्रो यूनिट रखा है।
यहां किया आवेदन
विभागाध्यक्ष ने मेडिकल कॉलेज की एथिकल कमेटी में आवेदन किया है। कमेटी के सुझाव पर ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीओ) में भी आवेदन किया है।
जिन्हें कुछ नहीं दिखता, वैसे 15 मरीजों को इंजेक्शन लगाए हैं। दो मरीजों को इंजेक्शन लगाने के बाद स्पष्ट दिखाई पड़ने लगा। उनकी रेटिना की मृत कोशिकाएं जीवित हो गईं। ऐसे पांच-छह मरीज इलाज के लिए सप्ताह में आ जाते हैं।
- प्रो. परवेज़ खान, नेत्र रोग विभागाध्यक्ष, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज।
रतौंधी के लक्षण
- शुरुआती दौर में रात में नहीं दिखता।
- बीमारी बढ़ने पर बीच के हिस्से में दिखता।
- अंत में पूरी तरह दिखना बंद हो जाता।
यह भी जाने
आंख के पर्दे की रोड और कोन सेल्स (कोशिकाएं) में फोटोपिगमेंट्स रसायन होते हैं। जब आप कुछ देखते हैं तो उसकी पहचान कर वे मस्तिष्क को संदेश देते हैं। तब वह आब्जेक्ट दिखाई पड़ता है। रोड सेल्स में रहोडोपसिन नामक फोटोपिगमेंट्स होता है, जो रात में अच्छी रोशनी के लिए जरूरी है।
Rathondhi ke Ilaaj ke liye kahan per aana hai please help me
ReplyDeletePlease give me your details
Deletethen I will help you
Please send your details on prarabdhnews@gmail.com
DeleteDetails bta do plese
DeletePlease Contact Prof. Parvez Khan (HOD GSVM medical college)
Deleteif you want his details then contact us on our email i.e prarabdhnews@gmail.com