Malnutrition : कुपोषण की जंग में हथियार बना 'अमृत' आहार

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  • शासन को भेजा प्रस्ताव, प्रदेश भर में लागू करने का दिया गया सुझाव
प्रारब्ध रिसर्च डेस्क, लखनऊ
सुपोषण की जंग में जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज ने 2015 में अमृत आहार तैयार कर लिया  था। अब प्रदेश भर में कुपोषण से जूझ रहे बच्चों के लिए अमृत आहार संजीवनी बनेगा। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभागाध्यक्ष ने इसे तैयार कराया है। मंडलायुक्त ने इसका प्रस्ताव शासन को भेज दिया था। साथ ही मंडल के सभी जिलों में इसे अपनाने का आदेश दिया है।

मेडिकल कॉलेज के बाल रोग चिकित्सालय के राष्ट्रीय पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में अति कुपोषित बच्चे इलाज के लिए आते हैं। इन्हें कुपोषण से मुक्ति दिलाने के लिए विभागाध्यक्ष प्रो. यशवंत राव ने एनआरसी की न्यूट्रीशनिस्ट  से ऐसा खाद्य  तैयार करने पर विचार-विमर्श किया जो सस्ता और सुलभ हो। काफी मंथन के बाद वर्ष 2015 में अमृत आहार तैयार कर लिया गया। 6 माह तक इसका प्रयोग एनआरसी में भर्ती अति कुपोषित बच्चों पर किया गया। डेढ़ से दो माह के अंदर के सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे और बच्चों के स्वास्थ में सुधार आया। इससे उत्साहित होकर इस  प्रयोग को वृहद रूप में करने का निर्णय लिया गया। इसके इस्तेमाल से 20 से 25 दिन में डेढ़ से दो किलो तक वजन में रिकॉर्ड वृद्धि देखने को मिली।

 ऐसे होता है तैयार
 250  ग्राम भुनी मूंगफली, 300 ग्राम भुना चना और 250 ग्राम दूध का पाउडर को मिलाकर अच्छी तरह पीस लें।उसमें 200 ग्राम देसी गुड़ और 200 ग्राम चीनी मिलाएं। उस मिश्रण में डेढ़ सौ ग्राम नारियल का तेल मिला लें। 1350 ग्राम का पैकेट बनाने में 300 से  350 रुपए का खर्च आता है।

सुपोषण की जंग
अमृत आहार की बदौलत शहर के 500 और बिधनू के 8 गांवों के 1200 बच्चों को कुपोषण से छुटकारा मिल चुका है। इससे बाल रोग विभागाध्यक्ष एवं उनकी टीम उत्साहित हुई। प्रशासनिक अधिकारियों  को अवगत कराया। 

89 प्रतिशत सफल है आहार 
अमृत आहार 89 प्रतिशत सफल है। इसकी सफलता को देखते हुए मंडलायुक्त ने सभी जिला स्वास्थ्य समितियों को इसे अपनाने का आदेश दिया है। शासन को भी प्रस्ताव भेजा है ताकि प्रदेश भर में इसे लागू किया जा सके।
 - प्रो. यशवंत राव, विभागाध्यक्ष , बाल रोग, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज। 
 

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