ई-सिगरेट से पॉपकॉन लंग्स का खतरा

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- युवाओं में दुष्प्रभाव पर जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के रेस्पेरेटरी विभाग के प्रोफेसर कर रहे अध्ययन

प्रारब्ध रिसर्च डेस्क 

सिगरेट की लत छुड़ाने को बाजार में आई ई-सिगरेट अब सिरदर्द बन गई है। यह युवाओं एवं महिलाएं के बीच काफी पसंद की जा रही है। इसमें प्रयुक्त केमिकल जानलेवा हैं। इसके दुष्प्रभावों से अनजान युवाओं में  पॉपकॉन लंग्स एवं लंग्स कैंसर का खतरा तेजी से बढ़ रहा है।

युवाओं एवं महिलाओं पर दुष्प्रभाव पर जीएसवीएम के रेस्पेरेटरी मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. सुधीर चौधरी अध्ययन कर रहे हैं। सिगरेट की लत छुड़ाने के लिए बनी ई-सिगरेट युवक, युवतियों, महिलाओं एवं गर्भवती भी इस्तेमाल कर रही हैं। इसका उत्पादन करने वाले प्रतिष्ठान व्यवसायिक लाभ के लिए हानिकारक नहीं बताते हैं, जबकि यह सिगरेट के बराबर हानिकार है। महानगरों में ई-सिगरेट एवं हुक्का बार का चलन तेजी से बढ़ा है। हुक्का बार में फ्लेवर्ड ई-लिक्विड होता है, जबकि ई-सिगरेट में केमिकल वेपर रूप में होता है। दोनों में हानिकारक डाई एसिटाइल केमिकल (बटर जैसा जो पॉपकॉन में मिलाते थे, अब प्रतिबंधित) होता है। इसके सेवन से फेफड़े में पॉपकॉन जैसा उभरने पर पॉपकॉन लंग्स कहते हैं। इस बीमारी को ब्रांक्योलाइटिस आब्लिट्रेंन कहा जाता है। इसमें फेफड़ों की छोटी श्वांस नलिकाएं सिकुड़ जाती हैं, जो आगे चलकर आइएलडी में परिवर्तित हो जाती है। इसकी चपेट में आकर युवा एवं महिलाएं तेजी से फेफड़े की बीमारी की चपेट में आकर इलाज करा रहे हैं।

ऐसे आई ई-सिगरेट 

वर्ष 2003 में चीन में ई-सिगरेट का अविष्कार हुआ। यह बैटरी से चलने वाला निकोटिन डिलेवरी का यंत्र है। इसमें द्रव्य पदार्थ, जिसे वेपर (भाप) कहते हैं। इसे क्वाइल के द्वारा गर्म करने के बाद मुंह से खींचा जाता है। इस यह सोच कर बनाया गया था कि बिना टॉर या कार्बन के फेफड़े तक कम मात्रा में निकोटिन जाएगा। व्यावसायिक फायदे के लिए ऐसे तरीके अपनाए गए, जिससे अधिक मात्रा में निकोटिन फेफड़े में जाने लगा। 

सिगरेट के खतरे 
7000 से अधिक केमिकल पाए जाते हैं 
70 केमिकल से कैंसर, सीओपीडी, हृदय रोग एवं लकवा का खतरा 
02 विकल्प बाजार में आए, निकोटिन च्यूइंगम एवं ई-सिगरेट 
01 फीसद सिगरेट पीने वालों की ही छूटी लद 
70 फीसद तक बढ़ गया दुरुपयोग 

खतरनाक केमिकल
कार्बन मोनोआक्साइड, कैडमियम (बैटरी में पाया जाता), आर्सेनिक, अमोनिया, रे-डॉन (खतरनाक न्यूक्लियर गैस), मिथेन, टॉर (चारकोल), निकोटिन, एसिटोन, फार्मलडिहाइड आदि। ई-सिगरेट की क्वाइल में हानिकारक मेटल ई-सिगरेट के वेपर को गर्म करने के लिए क्वाइल का इस्तेमाल की जाती है। इस क्वाइल में निकोटिन, फार्मालडिहाइड, फेनाले, टिन, निकिल, कॉपर, लेड, क्रोमियम, आर्सेनिक एवं डाई एसेटाइल मेटल हैं।   

ई-सिगरेट के नुकसान
 - शुक्राणुओं में कमी 
- गर्भपात का खतरा 
- गर्भस्थ शिशु को नुकसान 
- रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होना

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