रूमेटिक हार्ट डिजीज की दवा बनाएगा जीएसवीएम

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प्रारब्ध रिसर्च डेस्क

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज रूमैटिक हार्ट डिजीज की दवा तैयार करेगा। इसके लिए मॉलीक्यूल की स्क्रीनिंग शुरू की गई हैं। दवा तैयार होने से मरीजों को पेंसलिन के इन्जेक्शन से छुटकारा मिल जायेगा। अब इन्डियन काउन्सिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) से अनुदान मिलने का इन्तजार है। गाइड का दावा है कि छह माह में दवा तैयार कर ली जाएगी।
भारत के अलावा पाकिस्तान, नेपाल, बाँग्लादेश, आस्ट्रेलिया एवं अफ्रीका देशों में रुमेटिक हार्ट डिजीज की समस्या है। अमेरिकन एवं यूरोपियन देशों में बीमारी न होने से न रिसर्च (शोध) हुए और न ही इलाज की गाइडलाइन बनी। वर्ष 1985 से एंटीबायोटिक इन्जेक्शन पेंसलिन से इलाज हो रहा है. जो हर 21 दिन पर लगता है। कई बार इन्जेक्शन रिएक्शन कर जाता है। इस इस समस्या को देखते हुए जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की पूर्व प्राचार्य डॉ. आरती लालचंदानी ने वर्ष 2009 में अध्ययन शुरू किया। पाँच हजार मरीजों पर इन्जेक्शन की जगह एजिथ्रोमाइसिन का क्लीनिकल ट्रायल किया, जो शत प्रतिशत सफल रहा। 

ऐसे किया प्रयोग
पहले 5 दिन तक 500 एमजी एजिथ्रोमाइसिन, फिर 1 साल तक प्रत्येक सप्ताह एक टेबलेट दी। उनका यह शोध पत्र एशिया पेसिफिक एसोसिएशन ऑफ कार्डियोलॉजी और कार्डियोलॉजी सोसाइटी ऑफ इंडिया में प्रकाशित हुआ । यह टेस्ट बुक ऑफ कार्डियोलॉजी सोसाइटी ऑफ इंडिया में चैप्टर के रूप में शामिल है। पूर्व प्राचार्य डॉ. आरती लालचंदानी ने दिल्ली में आईसीएमआर के निदेशक डॉ. बलराम भार्गव से दवा के संबंध में मंत्रणा की थी। निदेशक ने 6 करोड़ रुपए अनुदान देने पर सहमति जताई है।

क्या है रूमेटिक हार्ट डिजीज
वैक्ट्रीरियल संक्रमण से सर्दी, खाँसी, जुकाम एवं टांसिल से शुरू होता है। फिर जोड़ों को प्रभावित करता है। इलाज नहीं करने से हार्ट के वाॉल्व पर अटैक कर उन्हें खराब कर देता है। इसकी चपेट में सर्वाधिक बच्चे आते हैं। 

यह आबादी होती  प्रभावित
घनी आबादी के क्षेत्र ,मलिन बस्ती, गंदगी के बीच रहने वाले लोग ,स्ट्रैप्टोकोकस ग्रुप -ए मॉलिक्यूल की स्क्रीनिंग हो रही है।

आईसीएमआर ने प्रोजेक्ट को स्वीकार कर लिया है ।बजट मिलते ही फार्मकोकोनैटिक्स मशीन मंगा कर दवा बनाने की प्रक्रिया शुरू करेंगे ।
पूर्व प्राचार्य प्रोफेसर आरती लालचंदानी जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज 

अब दवा बनाने पर काम
अब कॉलेज के  फार्माकोलॉजी व बायोकेमिस्ट्री विभाग विशेष तकनीक से लाइपो सोमल प्रिपरेशन ऑफ एजिथ्रोमाइसिन  तैयार करने में जुटे हैं।

देखें आंकड़े 
6 करोड़ रुपए मिलना है अनुदान
 40 लाख मरीज विश्व में है पीड़ित
 20 लाख मरीज सिर्फ भारत में है

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