लक्षण
Important News:इस बीमारी में बोलते वक्त, मरीज़ के चेहरे में असहनीय पीड़ा(करंट की तरह) ,खाना-खाते व पानी पीते वक्त दर्द महसूस होना।
लोहिया संस्थान में रेडियो फ्रीक्वेंसी से इस बीमारी का निदान संभव हो गया है । एनस्थीसिया विभाग की तरफ से संचालित ,पेन क्लीनिक में 40 से 70 साल के करीब 100 मरीजों पर इसका प्रयोग किया। डॉ . अनुराग अग्रवाल के मुताबिक इस बीमारी में दर्द इतना भीषण होता है कि मरीज आत्महत्या तक कर लेते हैं । यही वजह है कि बीमारी को सुसाइड डिसीज़ भी कहते हैं ।
मरीजों ने उखड़वाए आठ से 10 दांत : डॉ . अनुराग ने बताया कि मरीजों ने इस दर्द का कारण ,दांतों को मानते हुए , 30 मरीजों ने 8 से 10 दांत भी उखड़वाए । इसके बावजूद मरीज को दर्द से निजात नहीं मिली । उन्होंने बताया कि चेहरे के ऊपरी हिस्से ( गाल के पास ) आप्थैलमिक , मैग्जलरी और मैडीकुलर नसें आपस में मिलती हैं । इन नसों में दिक्कत की वजह से ही असहनीय दर्द होता है ।Important News
100 मरीजों पर शोध किया गया ट्राईजैमाइनल न्यूरलजिया बीमारी पर ।
50 साल की उम्र पार करने वाले इस बीमारी की चपेट में आसानी से आते हैं ।
ऐसे किया इलाज
डॉ . अनुराग के मुताबिक सी आर्म फ्लोरोस्कोप की मदद से नसों के गुच्छे तक पहुंचते हैं । वहां रेडियो फ्रीक्वेंसी से वार करते हैं। नसों में आई दिक्कतों को दूर कर देते हैं।डॉ . अनुराग ने बताया कि एक बार में रेडियो फ्रीक्वेंसी से पुख्ता इलाज हो जाता है । 15 से 20 प्रतिशत मरीजों में पांच साल में दोबारा बीमारी के उभरने की आशंका होती
है ।
सलमान खान भी पीड़ित थे-
फिल्म अभिनेता सलमान खान भी टाईजैमाइनल न्यूरलजिया की चपेट में थे । इलाज के बाद उन्हें इस बीमारी से निजात मिल गई । डॉक्टरों का कहना है कि पुरुषों के मुकाबले यह बीमारी महिलाओं को होती है । 50 साल की उम्र पार करने वाले, इस बीमारी की आसानी से चपेट में आते हैं ।
रेडियोफ्रिवेंसी से फायदा -
• मरीज को भर्ती की जरूरत नहीं।
• बेहोशी देने की आवश्यकता नहीं।
• खून नहीं चढ़ाना पड़ता।
• दवाओं के दुष्प्रभाव से बचाता है।
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