केंद्र की मोदी सरकार अंग्रेजों की तरह जनता पर जुल्म ढा रही है। जिस तरह अंग्रेज हिंदुस्तान की जनता पर ‘‘जजिया कर’’ लगाते थे, ठीक उसी तर्ज पर मोदी सरकार कोरोना महामारी से कराह रही जतना पर डीजल-पेट्रोल पर दस गुना टैक्स लगा रहे हैं। इसे तत्काल वापस लिया जाए। यह बातें वरिष्ठ कांग्रेसी नेता एवं पूर्व राज्य सभा सदस्य प्रमोद तिवारी ने प्रेस रिलीज़ जारी कर कहीं हैं।
श्री तिवारी का कहना है कि पेट्रोल और डीजल के दामों में बेतहासा वृद्धि कर कोरोना महामारी से बेहाल आमजन का उपहास उड़ाया जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 39 डाॅलर प्रति बैरल है, इस हिसाब से एक लीटर कच्चे तेल का मूल्य लगभग ₹18.00 आता है। इस हिसाब से सरकार चाहे तो डीजल ₹36 एवं पेट्रोल ₹40 प्रति लीटर बेच सकती है, फिर भी जनता पर दोगुना टैक्स लगाया जाना समझ से परे हैं। यह एक तरह से जनता का उत्पीड़न है। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में पेट्रोल में एक्साइज ड्यूटी ₹9.48 /लीटर और डीजल पर ₹3.56 प्रति लीटर थी। मोदी सरकार ने पेट्रोल और डीजल में एक्साइज ड्यूटी (उत्पाद शुल्क) और टैक्स मिलाकर पेट्रोल में ₹32.98 और डीजल में 10 गुना बढ़ाकर ₹31.83 कर दिया है। वर्तमान समय में डीजल और पेट्रोल के दाम आसमान छू रहे हैं। ₹18 प्रतिलीटर के मिल रहे कच्चे तेल को ₹80 में बेचना जनता पर जुल्म है। इसे मोदी सरकार का ‘‘जजिया कर’’ कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का भाषण सुनकर पीड़ा हुई। उन्होंने जनता को ‘‘राम भरोसे’’ छोड़ दिया है।
चुनिंदा पूंजीपतियों की भर रही तिजोरी
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार जनता की जेब पर डाका डाल कर कुछ चुनिंदा पूंजीपतियों की तिजोरी भर रही है। यह जनता के साथ विश्वासघात है। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा, क्या यही मोदीजी के ‘‘अच्छे दिन’’ हैं। मेरे हिसाब से पूंजीपतियों के अच्छे दिन आ गए और जनता के ‘‘बुरे दिन।
पंडित नेहरू के समय बनी थी पॉलिसी
श्री तिवारी ने कहा कि प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के समय में पाॅलिसी बनी थी कि डीजल की कीमतें हमेशा कम रखी जाएंगी। इसका पालन स्व. लाल बहादुर शास्त्री, स्व. इंदिरा गांधी, स्व. अटल बिहारी बाजपेई एवं डाॅ. मनमोहन सिंह समेत सभी प्रधानमंत्री ने किया। डीजल से पंपिंग सेट (सिंचाई के इंजन), ट्रैक्टर, ट्रक और बसे चलती हैं। दाम कम रहेंगे तो जनता को सुविधाएं मिलेंगी, उस पर बोझ नहीं पड़ेगा।
ऐसे तो बढ़ जाएगी महंगाई
डीजल की कीमतें बढ़ने से मालभाड़े की ढुलाई पर खर्च अधिक आएगा। इससे सामान की कीमतें बढ़ जाएंगी। कृषि उपज में अधिक लागत आएगी और सिंचाई महंगी हो जाएगी। इसकी सीधी मार जनता पर पड़ेगी।
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