हल्दी ,शहद, घी से तैयार दवा करेगी मुंह के छालों का इलाज

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 उपलब्धि: केजीएमयू के दंत चिकित्सक प्रोफेसर युएस पाल ने तैयार की है नई दवा।                                     बीड़ी,सिगरेट, पान मसाला एवं सुपारी खाने वालों ऐसे मरीज जो फाइब्रोसिस यानी मुंह के छालों से परेशान है ,उनके लिए राहत की खबर है ।केजीएमयू ने ऐसे मरीजों के लिए हल्दी ,शहद ,घी सहित कई आयुर्वेदिक पदार्थों से एक दवा तैयार की है । इस दवा को केजीएमयू के ही दंत संकाय  के ओरल एंड मैक्सिलोफैशियल सर्जरी विभाग के प्रोफेसर युएस पाल ने तैयार किया है। इस दवा का केजीएमयू मे प्रयोग हो चुका है। यह ओरल सब म्यूकस फाइब्रोसिस के मरीजों के लिए काफी कारगर पायी गई हैं।
 केजीएमयू ने इस दवा को सभी मरीजों को मुफ्त देने के लिए आयूष मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा। मंत्रालय की विशेषज्ञों ने भी दवा की पड़ताल की, और इसे कारगर माना। अब दवा के चिकित्सकीय गुणों पर नए सिरे से  विस्तृत अध्यन किया जाएगा।  आयुष मंत्रालय के आर्थिक सहयोग से केजीएमयू में एक चिकित्सक की तैनाती की जा रही है। करीब तीन साल तक इस दवा का मरीजों को हुए फायदे का मूल्यांकन किया जाएगा। संभव है कि इसके बाद आयुष मंत्रालय सभी मरीजों के लिए दवा मुफ्त देने की योजना  जारी कर सकता है। 
 नई व्यवस्था से क्या होगा फायदा:ओरल एंंड मैक्सिलोफैशियल सर्जरी विभाग की ओपीडी मेें करीब 200 मरीज आतेे हैं। इनमें ग्रेड वन व टू की स्टेज में आने वाले मरीज बेहद लापरवाह होते हैं ।उन्हें जैसे ही पता चलता है कि
 वे कैंसर की चपेट मैं नहीं है तो वे दवा खाना छोड़ देते हैं। कुछ ऐसे भी मरीज हैं ,जो आर्थिक समस्या की वजह से दवाएं नहीं खरीद पाते हैं।अब आयुर्वेदिक दवा मुफ्त मिलने से इन मरीजों को कैंसर की चपेट में जाने से रोका जा सकेगा। डॉक्टर यूएस पाल ने बताया कि ओरल सब म्यूकस फाइब्रोसिस  चार श्रेणी का  होता है। ग्रेड वन और ग्रेड टू  मे यह दवा बेहद कारगर पाई गई हैं।इस दवा से बिमारी  ठीक हो जाती है ।करीब पांच सौ से ज्यादा मरीजों को पूरी तरह से फायदा मिला है। ग्रेट थ्री और फोर की स्टेज आने पर सर्जरी ही अंतिम रास्ता होती है। ऐसी स्थिति में सर्जरी करके  गाल की खाल को निकाला जाता है, लेकिन ग्रेड फोर  के बाद यह कैंसर में तब्दील होने लगता है। यही वजह है कि मुंह के कैंसर के मरीज तेजी से बढ़ते हैं।
 फ्री होता है फाइब्रोसिस का ऑपरेशन :
डा. यू एस पाल ने बताया कि, केजीएमयू मैं फाइब्रोसिस की सर्जरी मुफ्त की जाती है। हर माह तीन से चार मरीजों की सर्जरी हो रही है ,लेकिन तमाम मरीज फालोअप में आने से कतराते हैं तो कुछ सर्जरी कराने से इंकार कर देते हैं, जिसकी वजह से वे कैंसर की चपेट में आ जाते हैं।
 कैसे बचें :पान मसाला ,खैनी का सेवन ना करें ।मुंह की नियमित रूप से सफाई करें ।अंदर मांसपेशियों के कड़ा होने, गांठ बनने ,छाले निकलने पर चिकित्सक की सलाह लें।
 क्या होता है ओरल सबम्यूकस फाइब्रोसिस : डा. यू एस पाल ने बताया कि पान मसाला, सुपारी ,बीड़ी,सिगरेट, खैनी खाने वालों में ओरल सबम्यूकस फाइब्रोसिस होता है।इन्हे चबाने से एरीकोनील निकलता है। इसमें जहरीले तत्व होते हैं।यह गाल के अंदर की मस्लस को सख्त बना देता है।यह मुलायम नहीं रह जाती है। गाल के अंदर फाइब्रस बैंड ( मोटी परत) बन जाती है ।मुंह खुलना कम हो जाता है। पान मसाला लगातार सेवन करते रहने से उसमें पाया जाने वाला निकोटिन , नाइट्रोसमीन, एरीकोलीन सहित अन्य खतरनाक तत्व कार्सिनाजेन्स बनते हैं, जो कैंसर की स्थिति में पहुंचा जाते हैं ।
                                     फैक्ट फाइल
 भारत में 90 फ़ीसदी ओरल कैंसर के मरीज गुटखा वह तंबाकू खाते हैं ।
तंबाकू के कारण देश में हर वर्ष डेढ़ लाख से अधिक लोग कैंसर की चपेट में आते हैं।
 भारत को गुटखा व तंबाकू सेवन की वजह से ओरल कैंसर कैपिटल कहा जाता है।
 भारत में तंबाकू व गुटखे से हुई बीमारी से रोजाना 2500 से अधिक मौतें होती हैं।
 विश्व भर में कुल ओरल कैंसर पीड़ितों का 86 फ़ीसदी रोगी भारत में है।
 देश में ओरल कैंसर के 75 से 80 हज़ार नये केस सालाना मिलते हैं।

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